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Showing posts from April, 2019

मेरे वो दिन।

  आज प्रिया और पंकज के प्रेम को देखकर मुझे मेरे बीते हुए जीवन की यादें फिर से ताजा हो गई। वैसे आजकल के आधुनिक सभ्यता को देखते हुए मन थोड़ा सा घबरा जाता है । जब कि बचपन से लेकर ही बच्चों को अपना पसंद, नापसंद करना और खुद के हिसाब जीवन जीना जैसी अमूल्य छूट प्राप्त है और घरवाले भी अब बच्चों को सहयोग करने लगे हैं। वैसे आजकल लड़कियां भी हर क्षेत्र में नाम कमा रही है, चाहे वो खेल से लेकर, सैन्य सेवा हो हर क्षेत्र में अपना सहयोग कर रही है। बचपन से लेकर मै और मेरी दो सहेलियां, कमला और सीमा, हम तीनों ही सबसे अच्छी तालमेल के साथ रहते थे। और हम तीनों की दोस्ती पूरे गांव में प्रसिद्ध थी। हम सहेलियां जिधर भी जाते साथ में ही रहते थे।  मै मेरे परिवार में दादा- दादी, मां- पिता जी,चाचा - चाची और मेरा भाई सूरज, पूरा भरा परिवार था। बचपन का बच्चों की तरह गुजर जाना, हमको तो यह लगता है कि जैसे हम कभी बच्चे थे ही नहीं। फिर भी जितना हो सकता था एक लड़की होकर मै मेरे सहेलियों के साथ पूरा बचपन बड़े मौज- मस्ती से बिताया । उन्हीं के साथ पनघट से पानी भरना, उन्हीं के साथ राजा- रानियों के किस्से सुनना और फिर ...