सत्यम कुशवाह की कलम से..... दुष्कर्म एक खतरनाक सामाजिक बुराई है, जो किसी प्रदर्शन और किसी के द्वारा किसी पर आरोप मड़ने से खत्म नहीं होगी, इसे खत्म करना है तो हमें यानी देश और दुनिया के तमाम इंसानों को अपनी सोच बदलनी होगी। इसकी शुरुआत हर घर से होगी। जब युग बदलेगा तब हम बदलेंगे ऐसा सोचने से कुछ नहीं होने वाला है, इसकी जगह जब हम बदलेंगे तब युग बदलेगा की सोच लानी होगी। अच्छी सोच के लिए किसी भी व्यक्ति में अच्छे संस्कार का होना, उसका अच्छा खान-पीन होना, खाली दिमाग न होना होना जैसी चीजें आवश्यक हैं। हमारे धर्म शास्त्रों में एक श्लोक है " यस्य पूज्यंते नार्यस्तु, तत्र रमंते देवता !!” यानी जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। दुष्कर्म(बलात्कार) जैसी खतरनाक सामाजिक बुराई को खत्म करना है तो हर एक घर से इसको खत्म करने का अभियान चलाना होगा। माता-पिता को अपने बच्चों को अच्छे संस्कार सिखाने चाहिए। लोगों में महिला सम्मान की भावना जागनी चाहिए। अब हाय, हैलो के जमाने में ये सब खत्म हो रहा है और हाय हाय हो रही है। चरण स्पर्श जैसे संस्कार आधुनिकता की भेट चढ़ रहे हैं, इन घटनाओं के पी...