क्या हुआ जो तू हार गया ,
जान की हार तुझे क्या सीखा गया ,
पहनेगा कभी तू भी जीत का हार,
कभी न हिम्मत हार।
यह तो इस दुनिया का वसूल है ,
हार के बाद ही जीत का सुकून है ,
करेगा तू भी एक दिन नैया पार ,
कभी न हिम्मत हार।
कह गए है श्री कृष्णा गीता में,
पूरा सार है कर्म के योग में,
बहाता रह कर्म की धार,
कभी न हिम्मत हार।
चार लोगो के कड़वे शब्द सुनता जा ,
सबसे अलग सोच रखे जा ,
जीत की उम्मीद करे जा यार ,
कभी न हिम्मत हार।
जीत तो तेरी तभी हो गयी थी ,
जब कोशिश तूने शुरू की थी ,
बस कर ईश्वर का आभार ,
कभी न हिम्मत हार।
देखा जाए तो यह कलियुग है ,
जहा अच्छा इंसान बनना भी जीत है ,
न समझ जीवन को भार ,
कभी न हिम्मत हार।
धन्यवाद।
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